आंतरिक संतुलन का विज्ञान: देश का गौरव – विश्व का पहला पीएचडी
डॉ. जितेंद्र पाटवारी की चक्रसंहिता आधुनिक उपचार की परिभाषा बदल रही है
परंपरा और विज्ञान का संगम:
भारत के डॉ. जितेंद्र पाटवारी ने चक्र विज्ञान को वैश्विक स्वास्थ्य मानचित्र पर स्थापित किया है।
आज विश्वभर में “वेलनेस” की चर्चा प्रायः आहार, व्यायाम या थेरेपी के इर्द-गिर्द होती है।
लेकिन एक भारतीय विद्वान ने इन दृश्यमान परतों से आगे जाकर उस सूक्ष्म तंत्र का अध्ययन किया है, जो वास्तव में मानव स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है — ऊर्जा का आंतरिक प्रवाह।
विश्व के पहले PhD in Chakra Healing प्राप्तकर्ता के रूप में डॉ. जितेंद्र पाटवारी ने आध्यात्मिक ज्ञान और वैज्ञानिक सटीकता का सुंदर संगम कर एक नई दिशा दी है।
उनका PhD प्रतिष्ठित The Open International University for Complementary Medicines, Russia से, Zoroastrian College (जो संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध NGO है) के माध्यम से प्रदान किया गया। यह भारत की प्राचीन उपचार परंपराओं का वैश्विक सम्मान है।
यह प्रमाणित करता है कि हमारे पारंपरिक स्वास्थ्य तंत्र केवल आस्था पर आधारित नहीं थे — वे सुव्यवस्थित विज्ञान थे, जो आज भी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक पीड़ा के समय मानवता का मार्गदर्शन कर सकते हैं।
स्थिरता के पीछे का विज्ञान
डॉ. जितेंद्र का शोध सात प्रमुख चक्रों पर केंद्रित है — जो शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करते हैं।वे कहते हैं, “जब ऊर्जा संतुलित प्रवाह में होती है, तो मन में स्पष्टता आती है और शरीर को शांति मिलती है।” उनका कार्य योगिक ऊर्जा मॉडल को न्यूरो-मनौवैज्ञानिक प्रमाणों से जोड़ता है — यह दर्शाते हुए कि चक्र असंतुलन से तनाव, चिंता, थकान, और अनेक रोग उत्पन्न होते हैं, जबकि ऊर्जा प्रवाह के संतुलन से व्यक्ति के स्वास्थ्य में मापनीय सुधार आता है।
चक्रसंहिता – दो युगों को जोड़ने वाली कड़ी
इस आंतरिक विज्ञान को सरल और व्यवहारिक बनाने के लिए डॉ. जितेंद्र ने चक्रसंहिता की रचना की — एक अद्वितीय पुस्तक, जो हिंदी और गुजराती में प्रकाशित हो चुकी है और अब अंग्रेज़ी में अनुवादित हो रही है। यह केवल ज्ञानग्रंथ नहीं, बल्कि एक “मार्गदर्शक” है — जो जटिल अवधारणाओं को सहज अभ्यासों में बदल देता है।
हर अध्याय में गहन अंतर्दृष्टि के साथ व्यावहारिक निर्देश हैं — प्राचीन से आधुनिक तक विभिन्न ऊर्जा सुधार विधियाँ। पाठक बताते हैं कि “यह पुस्तक केवल पढ़ने की चीज़ नहीं, साथ चलने वाला शिक्षक है।”
चक्रसंहिता ने प्राण विज्ञान को आधुनिक मनोविज्ञान, आत्म-जागरूकता और लचीलापन की भाषा से जोड़ा है — यह पुस्तक भारत की आत्मा और विश्व के विज्ञान के बीच एक जीवंत पुल बन गई है।

शोध से व्यवहार तक
डॉ. जितेंद्र पाटवारी की संस्था Bennitto Life Solutions Pvt. Ltd. उनके शोध को वास्तविक जीवन में उतार रही है। उनके काउंसलिंग सत्र, हिप्नोसिस थैरेपी और चक्र कार्यशालाएँ अब तक हजारों लोगों को लाभ पहुँचा चुकी हैं — कॉर्पोरेट अधिकारियों से लेकर छात्रों और गृहिणियों तक, सभी ने जीवन में शांति और दिशा पाई है। वे कहते हैं, “सच्चा उपचार तब शुरू होता है जब व्यक्ति अपने भीतर के तंत्र को समझता है।
चक्र हीलिंग रहस्यवाद नहीं, आत्म-विज्ञान है।”
भारत का ज्ञान – विश्व की आवश्यकता
अंतरराष्ट्रीय संस्थानों द्वारा मिली मान्यता इस तथ्य को पुष्ट करती है कि
भारत के प्राचीन ज्ञान तंत्र आज की वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का उत्तर हैं।
वे कहते हैं, “स्वास्थ्य केवल शरीर की फिटनेस नहीं है; यह भावनात्मक जागरूकता, मानसिक स्पष्टता और आंतरिक जुड़ाव का संतुलन है।”
भविष्य की दृष्टि
बीमारी से लेकर वैश्विक मान्यता तक की डॉ. जितेंद्र की यात्रा प्रेरणास्पद है।
आज वे ध्यान, वेलनेस कार्यक्रमों और चक्र शिक्षा को स्कूलों, कार्यालयों और स्वास्थ्य संस्थानों में जोड़ने के प्रयास कर रहे हैं। उनका उद्देश्य है — स्वयं उपचार को जीवन कौशल बनाना, विलासिता नहीं।
चक्रसंहिता के माध्यम से डॉ. जितेंद्र पाटवारी ने भारत के सनातन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान की भाषा में प्रस्तुत किया है — करुणा, स्पष्टता और साहस के साथ।
उनका कार्य यह दिखाता है कि जब अनुभव पर आधारित ज्ञान विनम्रता से साझा किया जाता है, तो वह केवल व्यक्ति नहीं, पूरी समाज को स्वस्थ बना सकता है।
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